Happy Mother’s day
आज मातृ भक्ति दिवस है
😀😀😀
क्या भक्ति सिर्फ एक दिन की होती है!!!
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मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है
माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है
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आज जो कुछ भी तुम हो जैसे भी हो तुम्हारा पहला कदम माँ ने ही हाथ पकड़ कर चलाया है। हर लीला में सहज रमता उसी का साया है। तुम्हारी तरक्की को सिर पे चूमती है, एक माँ ही है जो हर वक्त दुआ के फूल चुनती है। वेदों ने जो तेरी महिमा कही है सही है, तू करुणामयी और ममतामयी है सही है, माँ है तो फिर सब कुछ है इस जहाँ में,कौन कहता है यहाँ जन्नत नहीं है। जन्नत की दौलत को संजो के रखिये एकांत में इससे बड़ी कोई दौलत नही मिलती। बचपन के पलों लो स्वीकार करती हूं जब एक रुपए के अमरूद खरीदने का अरमान होता था, माँ को गले लग जाओ वो आलम अनमोल होता था, मुस्कुरा कर एक रुपया थमा देती थी। हाँ जी ये माँ है सब जान लेती थी।आज लाखों रुपये बेकार हैं वो एक रुपये के सामने जो माँ स्कूल जाते वक्त देती थी.. एक चुम्मी में बेशुमार प्रेम बरसता था, नटखट नादान बचपन अरबो की दौलत में रमता था,जहाँ माँ का गले लगना हर प्रश्न का स्वयं उत्तर होता था। ईश्वर की कृपा निज बरसती थी। घरों की चौखट तोरण, रंगोली,दियों से सजती थी। परमात्मा भी आने पर विवश होता था एक घर जब ईट पत्थरो से नही अपनो के अपने पन से चहकता था। हर एक दिल के तार और झनकार बजती जाती थी। युही चुटकीयो में मुस्कान लबों पे आ ही जाती थी, ओस की बूंदों की तरह प्रकृति झिलमिलाति थी। खिलखिलाता अल्लड़ पन नटखट नादान बचपन यौवन जब रंग लाता था।अनजान भी अपना होता चला जाता था।
वो (माँ) हमे आंतरिक शक्ति प्रदान करनी थी, अंतः करण को जगाने के लिए अक्सर वो डॉट दिया करती थी, गलती से गर एक गाल पे चमाट पड़ जाता था, माँ का दिल जैसे हथेली पर आ जाता था।
सबको खिलाया और खुद बिना खाए सोने लगी हाँ वो माँ है अपने अश्रुओं में खुद को भिगोने लगी।
उसकी डॉत का असर गहरा होता रहा आज भी जब खुद चल रही मै तो watch शब्द घूमता रहा।
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Watch :
Watch your Word
Watch your Action
Watch your Thought
Watch your Character
Watch your Heart
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उसकी शिक्षा ने कहाँ से कहाँ पहुँच दिया
बिनकुछ मांगे देती जा रही है ये माँ है साहब प्रकृति की अनमोल धरोहर ये सिर्फ प्रेम आंतरिक अपनापन दिए जा रही है।
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बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ ,
उठाया गोद में माँ ने, तब आसमान छुआ
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आज उसी की कृपा से मैं कुछ कर पा रही हु, ये मेरी माँ का ही आशीर्वाद है जो मैं दीक्षा लिए जा रही हु। गायत्री माँ की उपासक में अनमोल शक्ति का प्रवाह है।जब भी मेरी माँ ने मुझे छुआ शिखर को झुकना पड़ा है।
माँ तो किसी की भी हो माँ होती है उसी में ईश्वर की असीम कृपा बसी होती है।शिव शिवाय की शक्ति को मैं समझती जा रही हु।ये अंश परा शक्ति का हर एक मे देखे जा रही हु। कभी दर्द ने जब दस्तक दी तो चेतना शक्ति ने मन मस्तिष्क में विराजमान माँ ने जागृत रखा तुम देह नही आत्मा हो एक पल में भाव बदल दिया।
विचित्र किंतु सत्य हमारे पूर्वजों ने कभी मातृ दिवस नही मनाया लेकिन माँ को कभी भी अकेला होने नही दिया।सोचने पर मजबूर कर देता है ना…
जब से होश संभाला है या यूं कहू की जान पाई हु तो अपने परिवार जनों के मुख से कभी नही सुना कि mothers day है तो दादी जी /नानी जी के लिए खीर बनाई जाए या हवन किया जाए, जो अब अपने समक्ष नही है, उनकी याद में कुछ बाटा जाए,हा लेकिन श्राध्द पक्ष में ये सब अनुभव किया है,पूर्वजो के लिए तर्पण, अर्पण क्या कुछ नही। सनातन धर्म मे तो रोज़ ही mothers day होता है क्यों कि हम सर्व प्रथम धरा को अपनी जननी मानते है।
माँ हमारे धर्म मे बहुत उच्चतम स्थान है।तेरी कृपा बिना न हिले एक भी अनु लेते है स्वास तेरी दया से तनु तनु।
माँ अंनत है,आदि शक्ति है, कुण्डलिनी के रूप में हर शख्स में विराजमान है।चेतना है,चैतन्यमयी है। आनंद मयी है।
माँ को हम सभी भारतीय पूजते है, उनके चरणों को छू के प्रणाम करते है, उनसे अपने मस्तिष्क पे टिका लगवाते है। और तब ही घरों के बाहर कदम रखते है।उनकी दुआ हर क्षण हृदय में बसा आत्मविश्वास है। मेरे खयाल से,उन्ही के सिद्धांतों पे चल कर जीना सीख जाओ तो इससे बेहतरीन तोहफा माँ को नही दिया जा सकता है। पुराणों में माँ एक शक्ति है और कहा जाता है शक्ति के बिना शिव भी शव है। सच पूछिए तो माँ के बारे में लिखना सूरज को दिया दिखाना होगा। लेकिन मैं फिर भी माँ शारदे को नमन करती हूं कि वो आए और मेरे मन के तारो में विराजमान शक्ति को लिखने की अनुमति दे जय माँ शारदे कोटि कोटि नमन।
चलती फिरती आँखों से प्रार्थना देखी है,
मैंने स्वर्ग तो नहीं देखा है माँ देखी है।
माँ का गुण अपने आप में एक विज्ञान और कला है।
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माँ की ममता, करुणा, स्नेह, आशीष, तो रग रग में दौड़ रहा है। मुझमे ही तू बस रही है जाने कैसे दिल की धड़कन माँ जय जय माँ गाए जा रही है। रोम रोम कतरा कतरा; तेरा एहसास है। सीधी साधी भोली भाली मैं ही सब से सच्ची हूँ,कितनी भी हो जाऊं बड़ी माँ आज भी तेरी बच्चि हूँ घुटनों से रेंगते-रेंगते जब पैरों पर खड़ी हो गयी,माँ तेरी ममता की छाँव में जाने कब बड़ी हो गयी…निडरता से अटल कदम बढ़ते चले जाते है, सच कहती हूं पल अनमोल नज़र आते है।सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है,ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है।
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पूछता है जब कोई मुझसे कि दुनिया में मुहब्बत अब बची है कहाँ ? मुस्कुरा देती हूँ मैं और याद आ जाती है “माँ”
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जीवन के इस दौरे में mothers day सभी मना रहे है, लेकिन माँ के दर्द को कितने समझ पा रहे है। माँ है भी और नही भी, जब आप किसी तक्लीफ मे पड जाते हो तो सर्व प्रथम माँ ही याद आती है, कहते है माँ का अनमोल नाता है तभी तो बच्चे खेलते वक्त गिर जाए तो मम्मी ही दर्द में कहता है।
ना जाने क्या था “माँ” की उस “फूँक” में
हर “चोट” ठीक हो जाया करती थी
“माँ” की हल्की सी एक “चपत” ज़मीन को
सारा “दर्द” ही “गायब” कर दिया करती थी
आज वृद्ध आश्रम बन रहे है,क्यों सब को आज़ादी चाहिए। रोक टोक पसंद नही। हमारे बचपन की यादों में और अभी के बच्चों की यादों में ज़मीन आसमान का अंतर है। संस्कार अनुशासन की नींव खोती जा रही है सयुक एकता अब एकांत में परिवर्तित हो रही है,
कही उन्होंने भी इस व्यवहार को अपना लिया है, गैर अपने होते जा रहे है। और अपनों को खबर तक नही की माँ किस पीड़ा से गुज़र रही है। बनावटी मुखौटे हर जगह दिख रहे है।
इतना कुछ खुद सह लेती है माँ, लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती।इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है,माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है।
उसका चुप रहना सन्नाटा ला देता है,हस्ता खेलता घर घर नही रहता । किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता, शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता..
न जाने क्यों आज के इंसान इस बात से अनजान हैं
छोड़ देते हैं बुढ़ापे में जिसे वो माँ तो एक वरदान है।
ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम कभी बूढ़ा नहीं होने देंगे..
शारदे माँ की स्तुति याद आ गयी
किस मंजू ज्ञान से तू खुद को लुभा रही है,
किस भाव मे भगवती तू मगन हो रही है,
विनती हमारी माता तू क्यों न सुन रही है।
हम बालक कब से तुझको पुकार रहे है।
चरणों मे तेरी माता हम सिर झुका रहे है।
अज्ञान तुम हमारा माँ शीघ्र दूर करदो,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में ओ वीणा पानी भर दो
बालक सभी को अपने ओ माँ है प्यारे
प्राणों से प्रिय तुम्हें है हम पुत्र सब दुलारे।
हमको दया मई अपने निकट तो लाओ
अमृत जगत का माता हम को भी पिलाओ
मातेश्वरी सुनो अब सुंदर विनय हमारी
कर दया दृष्टि हर लो बाधा घर की सारी
💝Happy Mother’s Day💝
मुझे समझना है तो,
बस अपना समझ लेना,
क्यूँकि हम अपनो का साथ,
खुद से भी ज्यादा निभाते हैं…
आप के अंदर बैठे शिव शिवाय को कोटि कोटि नमन
🌹💐🙏🏻जय जय माँ🙏💐🌹
💝Happy Mother’s Day💝नमः शिवाय🌹🙏❤️🙏🌹